Monday, July 18, 2011

सिगरेट : आसान है छुटकारा




सिगरेट की लत के बारे में कहा जाता है कि यह लग तो आसानी से जाती है, मगर इसे छोड़ना उतना ही मुश्किल होता है। बहरहाल स्‍मोकिंग के कारण हेल्‍थ को होने वाले नुकसानों को देखते हुए इसे छोड़ देना ही बेहतर है और ऐसा किया भी जा सकता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की तरह ही कोई भी इस लत से छुटकारा पा सकता है। बस, शर्त है तो इतनी कि आपकी वि‍ल पावर स्‍ट्रॉन्‍ग हो और आप इसके लिए कुछ खास तरीकों पर अमल करें।

कैसे छोड़ें सिगरेट की लत
स्‍मोकिंग गाहे-बगाहे यूथ की लाइफ स्‍टाइल का हिस्सा बन जाती है। युवा खेल-खेल में सिगरेट वगैरह पीने लगते हैं। बाद में पछतावा होने पर छोड़ने की कोशिश भी करते हैं, मगर जल्द हार मान लेते हैं। सिगरेट पीने की आदत छोड़ना इतना मुश्किल भी नहीं है। जब बराक ओबामा 48 की उम्र में सिगरेट छोड़ने की कवायद कर सकते हैं, तो युवा क्यों नहीं।

कुछ विशेषज्ञों ने बराक ओबामा सहित दुनिया भर में स्‍मोकिंग करने वालों के लिए यह 'फाइव स्टेप प्लान' बनाया है। अपने आप से प्यार करने वाले युवा इसे आजमा सकते हैं। मगर इन योजना को असफल साबित करने के लिए नहीं, बल्कि खुद को सफल बनाने के लिए।


* स्‍ट्रैस होने पर सिगरेट पीने का मन करता है?
पहले अपने तनाव के कारण खोजें।

उन पर विचार करके उनका सॉल्‍यूशन निकालें।

यह सॉल्‍यूशन अपने मनपसंद कामों से हो सकता है।

संगीत सुनना, खेलना, फिल्म देखना, किताबें पढ़ना, सैर-सपाटा या जो कुछ भी आपको पसंद हो, तनाव दूर करने के लिए करें।

स्‍ट्रैस कम रहेगा तो तलब भी कम लगेगी।

अपने आप से पूछें कि आप आखिर सिगरेट क्यों छोड़ना चाहते हैं?

आप यह न सोचें कि मुझसे कुछ छूट रहा है, या मुझसे कुछ अलग हो रहा है, बल्कि ये सोचें कि आप अपने आप को स्वस्थ जिदंगी का तोहफा दे रहे हैं।

स्‍मोकिंग छोड़ने के लिए अपने हि‍साब से एक तारीख डि‍साइड कर लें, जो आपके लिए सीमा रेखा की तरह काम करेगी।

जैसे-जैसे यह दिन या सीमा रेखा नजदीक आए धीरे-धीरे एक-एक सिगरेट की संख्या कम करते जाएँ।

सिगरेट छोड़ने के लिए तय तारीख पर प्रतिज्ञा लें कि आज से मेरी जिंदगी की नई शुरूआत है।

इस दिन के बाद हर दिन खुद को बधाई दें कि आपने अपने आपको को धीरे-धीरे करके सारी जिंदगी धुएं में घुटने से बचा लिया है।

कुछ समय बाद आप पाएंगे कि आपके कमरे, घर, कपड़ों और मुंह से धुएं की बदबू खत्म हो गई है। यही नहीं, बल्कि आपकी जिंदगी एक अंधेरी सुरंग से बाहर निकल आई है। एक नई ताजा दुनिया है, जिसमें धुआं नहीं है।

हॉर्स पॉवर चाहिए, तो चना रोज लीजिए

अश्व यानी घोड़ा, शक्ति का प्रतीक होता है, तभी इंजन या मोटर की शक्ति को, 'हॉर्स पॉवर' कहा जाता है यानी अश्व शक्ति से मापा जाता है और घोड़ा घास के अलावा चना ही खाता है। दिनभर मेहनत करता है, ताँगा खींचता है पर थकता नहीं। इससे यह भी साबित होता है कि चने में कितनी शक्ति होती है

ताकतवर तो हाथी भी होता है पर किसी इंजन की शक्ति को एलीफेंट पॉवर नहीं कहा जाता, क्योंकि हाथी में बल तो बहुत होता है पर साथ ही आलस्य और ढीला-ढालापन भी होता है। हाथी घोड़े की तरह फुर्तीला और सुडौल शरीर वाला नहीं होता और उसका बल आम तौर पर मनुष्य के काम नहीं आता जैसे घोड़े का बल काम आता है।

चने का नाश्ता : नाश्ते के लिए एक मुठ्ठी काले देशी चने पानी में डालकर रख दें। सुबह इन्हें कच्चे या उबालकर या तवे पर थोड़ा भुनकर मसाला मिलाकर, खूब चबा-चबाकर खाएँ। चने के साथ किशमिश खा सकते हैं, कोई मौसमी फल खा सकते हैं। केला खाएँ तो केले को पानी से धोकर छिलकासहित गोलाकार टुकड़े काट लें और छिलका सहित चबा-चबाकर खाएँ। नाश्ते में अन्य कोई चीज न लें।

भोजन में चना : रोटी के आटे में चोकर मिला हुआ हो और सब्जी या दाल में चने की चुनी यानी चने का छिलका मिला हुआ हो तो यह आहार बहुत सुपाच्य और पौष्टिक हो जाता है। चोकर और चने में सब प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। चना गैस नहीं करता, शरीर में विषाक्त वायु हो तो अपान वायु के रूप में बाहर निकाल देता है। इससे पेट साफ और हलका रहेगा, पाचन शक्ति प्रबल बनी रहेगी, खाया-पिया अंग लगेगा, जिससे शरीर चुस्त-दुरुस्त और शक्तिशाली बना रहेगा। मोटापा, कमजोरी, गैस, मधुमेह, हृदय रोग, बवासीर, भगन्दर आदि रोग नहीं होंगे।

चने को गरीब का भोजन भी कहा जाता है, लेकिन इसकी ताकत को हम अनदेखा कर देते हैं। चना सस्ता भी है और सरल सुलभ भी, इसलिए हमें पथ्य यानी सेवन करने योग्य आहार के रूप में चने का सेवन करके स्वास्थ्य लाभ अवश्य प्राप्त करना चाहिए।

दिमाग को रखिए दुरुस्त (Health Tips)


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हर शख्स चाहता है कि उसका दिमाग आखिरी वक्त तक चुस्त-दुरुस्त और युवा बना रहे। याददाश्त हमेशा उम्दा रहे, पर हकीकत में सबके साथ ऐसा नहीं होता, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ कोशिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया क्रमशः क्षीण होने लगती हैं।

साऊथ फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में एक शोध हुआ। इससे पता चला है कि हरी पत्तेदार सब्जियाँ- खासकर मेथी, पालक, सरसों, चौलाई व शलजम को आहार में खास स्थान देने से व्यक्ति का दिमाग वृद्धावस्था में भी चुस्त-दुरुस्त व युवाओं की तरह सक्रिय बना रह सकता है।

शोधकर्ताओं ने परीक्षण के तहत कुछ चूहों को इंजेक्शन के जरिए पालक का रस दिया और शेष चूहों को नहीं। अध्ययन से पता चला कि जिन चूहों को पालक का इंजेक्शन दिया गया, वे किसी प्रक्रियात्मक व्यवहार को तेजी से सीखने में सफल रहे।

इसके विपरीत जिन चूहों को इंजेक्शन नहीं दिया गया, वे ऐसा नहीं कर सके। शोधकर्ताओं की राय में हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन (खासकर विटामिन सी व ई) और खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही इनमें कई 'एंटीऑक्सीडेट' भी उपलब्ध रहते हैं, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं के क्षीण होने की प्रक्रिया को कम करते हैं। नतीजतन उम्र ढलने के बाद भी आपकी दिमागी सक्रियता व याददाश्त उम्दा बनी रहती है।
दिमाग को भी दें थोड़ा आराम (Relax Your Mind)

एकरसता से बचें - एकरसता हर चीज में नीरस कलेवर भर देती है इसलिए आपकी रुटीन में बदलाव होना बेहद जरूरी है। हर काम समय से करने के मूल मंत्र को परे रख कभी अपने को थोड़ा अव्यवस्थित भी करें। हर चीज में छोटे-छोटे बदलाव करने को आप तैयार रहें। अपने कमरे की साज सज्जा से लेकर अपने टीवी देखने के समय तक में भी।

मदद करें, मदद लें - जब भी आप किसी के काम आते हैं आपको मानसिक तौर पर काफी राहत मिलती है। इससे कम परिचित या अपरिचित लोगों के साथ आपका अपनापन भी बढ़ता है। यही बात मदद लेने को तैयार रहने की प्रवृत्ति के साथ भी है। मदद लेना या देना दोनों आपको सामाजिक बनाता है और सामाजिक बनना अकेलेपन की त्रासदी से दूर होने का सबसे बेहतर जरिया है।

डेंगू : एक खतरनाक बुखार (Dengue Fever)

पूरे विश्व में हर साल 5 से 10 करोड़ मरीज डेंगू बुखार से प्रभावित होते हैं। इस बुखार को 'हड्डी तोड़ बुखार' नाम भी दिया गया है। अगर इसका सही उपचार नहीं हुआ तो यह बुखार (1) डेंगू हेमोरेजिक फीवर, (2) डेंगू शॉक सिंड्रोम में बदल जाता है, जिससे मरीज की जान भी जा सकती है। यह एक वायरल बुखार है, जो 4 प्रकार के डेंगू वायरस (डी-1, डी-2, डी-3, डी-4) से होता है। यह वायरस दिन में काटने वाले दो प्रकार के मच्छरों से फैलता है।

ये मच्छर एडिज इजिप्टी तथा एडिज एल्बोपेक्टस के नाम से जाने जाते हैं। यह बुखार सिर्फ मच्छरों से फैलता है। मरीज दूसरे स्वस्थ आदमी को यह बीमारी नहीं देता है। यह मच्छर साफ, इकट्ठे पानी में पनपते हैं, जैसे घर के बाहर पानी की टंकियाँ या जानवरों के पीने की हौद, कूलर में इकट्ठा पानी, पानी के ड्रम, पुराने ट्यूब या टायरों में इकट्ठा पानी, गमलों में इकट्ठा पानी, फूटे मटके में इकट्ठा पानी आदि। इसके विपरीत मलेरिया का मच्छर गंदे पानी में पनपता है। इन्हीं मच्छरों से चिकनगुनिया भी फैलता है, जो हम गत वर्षों में देख चुके हैं।

लक्षण
साधारणतः डेंगू की शुरुआत 1 से 5 दिनों तक तेज बुखार व ठंड के साथ होती है। अन्य लक्षण जैसे सिरदर्द, कमर व जोड़ों में दर्द, थकावट व कमजोरी, हल्की खाँसी व गले में खराश, उल्टी व शरीर पर लाल-लाल दाने भी दिखाई देते हैं। शरीर पर दाने इस बुखार में दो बार भी दिखाई दे सकते हैं। पहली बार शुरू के दो-तीन दिनों में और दूसरी बार छठे या सातवें दिन। इस बुखार का मरीज करीब 15 दिनों में पूरी तरह ठीक होता है। यह बुखार बच्चों व बड़ी आयु के लोगों में ज्यादा खतरनाक होता है।

बचपन के तनाव का जीवन पर प्रभाव

 सेहत समाचार
वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि जीवन के शुरुआती दौर में जो तनाव होता है, उसका असर दूरगामी होता है। यह व्यक्ति की शारीरिक क्रियाओं और व्यवहार को प्रभावित कर सकता है। वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह असर उस क्रियाविधि के जरिए होता है, जिसे एपिजिनेटिक प्रभाव कहते हैं।

वैसे तो इस बात का अनुमान पहले से ही था कि बचपन के अनुभव वयस्क अवस्था में भी अपना असर दिखाते हैं, मगर यह कैसे होता है, इस मामले में कोई स्पष्ट समझ नहीं थी। एक परिकल्पना यह रही है कि पर्यावरण का असर जीनोम की भौतिक संरचना पर पड़ता है और यह असर दूरगामी परिणाम पैदा करता है। अब जर्मनी के मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट ऑफ साइकिएट्री के क्रिस मुर्गाट्रॉयड और उनके सहयोगियों ने कुछ प्रयोगों के जरिए इसकी क्रियाविधि पर प्रकाश डाला है।

 
उन्होंने कुछ चूहों को जन्म के बाद प्रथम दस दिनों तक प्रतिदिन तीन घंटे उनकी माँओं से दूर रखा। जाहिर है, यह उनके लिए तनाव का कारण बन गया। आगे चलकर इन चूहों में व्यवहारगत बदलाव देखे गए। इसके बाद उनके जीनोम का विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं ने खास तौर से उस जीन पर ध्यान दिया, जो आर्जीनीन वैसोप्रेसिन नामक हार्मोन का निर्माण करता है। यह हार्मोन मूड और संज्ञान संबंधी व्यवहार का नियंत्रण करने के लिए जाना जाता है। आमतौर पर तनावजनित गड़बड़ियों के मामले में दवाइयों का लक्ष्य आर्जीनीन वैसोप्रेसिन का ग्राही ही होता है।

देखा गया कि बचपन में जिन चूहों को तनाव में रखा गया था, उनमें 6 सप्ताह की उम्र से लेकर 1 वर्ष तक ठीक वैसे व्यवहारगत परिवर्तन हुए जैसी कि अपेक्षा थी। इसके अलावा हार्मोन में भी अपेक्षित परिवर्तन देखे गए। विश्लेषण करने पर पता चला कि इन चूहों के मस्तिष्क में आर्जीनीन वैसोप्रेसिन का मिथाइलेशन बहुत कम हुआ था।

 
मिथाइलेशन का कम स्तर खास तौर से मस्तिष्क के उस हिस्से में उल्लेखनीय था, जो हार्मोन से संबंधित तनाव का नियंत्रण करता है। इससे लगता है कि बचपन का तनाव हार्मोन निर्माण के लिए जवाबदेह जीन को प्रभावित करता है और यह प्रभाव बड़ी उम्र में भी बरकरार रहता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जीनोम ने बचपन के तनाव को याद रखा था।

इस अनुसंधान ने तनाव की वजह से होने वाले व्यवहारगत परिवर्तनों की आणविक प्रक्रिया को उजागर किया है। इससे लगता है कि इस तरह के परिवर्तनों को संभालने के लिए उपचार जितनी जल्दी शुरू हो जाए, उतना अच्छा। एक बात यह भी स्पष्ट होती है कि जो परिवर्तन मिथाइलेशन की वजह होते हैं वे स्थायी होते हैं, इसलिए ऐसे मामलों में शायद उपचार के लिए आर्जीनीन वैसोप्रेसिन के स्तर को अन्य ढंग से नियंत्रित करना ही कारगर होगा।
सौजन्य से - (स्रोत

जुकाम : घरेलू नुस्खे

1  जुकाम होने पर काली मिर्च, गुड़ और दही मिलाकर खाएँ। इससे बंद नाक खुलती है।
2  रोज रात को उबाल-उबाल कर आधा किया हुआ जल गुनगुना कर पीने से जल्दी फायदा होगा।

3  सौंठ, पिप्पली,बेल का गुदा और मुनक्का को एक चौथाई होने तक पानी में उबालें। इसे छानकर उतना ही सरसों का तेल डालकर फिर उबालें। जब पानी हवा में उड़ जाए तब उतारकर ठंडा कर लें। इस मिश्रण की एक बूँद नाक में डालने से जुकाम की लगातार चलने वाली छींकें बंद होगी।

4  दूध में जायफल, अदरक, तथा केसर डालकर खूब उबालें। जब आधा हो जाए तब गुनगुना करके पिएँ। जुकाम में तुरंत राहत मिलेगी।

5  सात-आठ काली मिर्च को घी में तड़का लें और फटाफट खाते जाएँ ऊपर से गर्मागर्म दूध या पानी पिएँ तो जुकाम से लड़ने की शक्ति बढ़ेगी और कफ खुलेगा।

6  पान के रस में लौंग व अदरक का रस मिलाए फिर इसे शहद के साथ पिएँ, जुकाम गायब होगा।

Saturday, July 16, 2011

IMAMGANJ


Introduction :
Imamganj Block of Distt. Gaya is situated inthe southern part of Gaya Just on the border of Jharkhand. The Block has two police Station. 17 Village Panchayat, 195 village of which 182 are chiragi and 13 are unchiragi. Total Land area of the Block is about 61708.52 sq acres out of which 17812.2 sq. acres is forestry and 1838.63 sq. acres are barren. Only 14537.45 sq. acres areas are furtile.
As of 2001 India census Imamganj had a population of 151491 out and which male population is 77.612 and Female is 738.79. Imamganj has a male litracy of 32128 and Female is 73879.
Imamganj History :
Imamganj has experienced the rise and fall of many and many ineidence happend in this area. It is know as a Nexalite area. Maximum activities of Nexalite are being done in this area. Due to these activties most of the people are living not peacefully. In spite of these the area experienced the blis of Gautam Budha who achieved enlightement below the pipal tree at Bodh Gaya.
Hostory :-
Bodhni Patiari- It is situated in south cost of Imamganj. It is an important historical place of this area. Many statue are recovered by diging at the top of this pahar.
Most of the area of Imamganj are Surrounded by forest and Hills which are very helpful for Nexalite activities.
        Even a great statue of Lord Budha was recovered which is still kept in the
        muzium at Bodh Gaya.